घमंडी माली की कहानी
मेरी कहानी का नाम है घमंडी माली
और बच्चे भी बहोत खुश होते, एक दिन बाग़ मे बच्चे खेलने नहीं आये तो बाग़ का मालिक बहोत उदास हो गया और आम के पेड़ो की तरफ देखता रहा, इतना सुना सुना बाग़ उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगा और वह वहाँ से चला गया, ऐसे ही, चार पांच दिन बीत गए लेकिन बच्चों का कही अत्ता पत्ता नहीं!
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फिर बाग़ के मालिक ने भी बाग़ मे आना छोड़ दिया और, लेकिन बच्चों ने बगीचे मे खेलना शुरू कर दिया और बगीचे के रंग भी रंगे फूलो को तोडना और उनकी खुशबु सूंघना उनको बहोत अच्छा लगा, बच्चे रोज उस बगीचे मे खेलने जाने लगे|एक दिन ज़ब बगीचे का दानव वहाँ आया तो उसने बच्चों को वहाँ खेलते हुवे देखा और बहोत गुस्सा करने लगा, लेकिन बच्चे फिर भी ना मानते और दुबारा बगीचे मे खेलने चले गए बच्चों को रंग भी रंगे फूलो पर तितलियाँ उड़ती बहोत अच्छी लगती वह उन तितलीयो को पकड़ते और खूब मज़ा करते लेकिन बगीचे के दानव को बच्चों का वहाँ आना बिलकुल पसंद नहीं आया |
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उन्होंने बच्चों को खूब डांटा और बगीचे मे आने से मना कर दिया, बगीचे का दानव बहोत घमंडी था, वह अपने बगीचे की तरफ किसी को भी नहीं देखने देता, और एक दिन उसने अपने बगीचे के चारो और चार दीवारी कर वा दी जिससे कोई बच्चा या कोई आता जाता व्यक्ति उसके बगीचे की तरफ ना देखे !! बच्चे बगीचे के दानव का यह घमंड देखकर बहोत उदास हुवे और वहाँ से चले गए ! दो दिन बाद बच्चे आम के बाग़ मे दुबारा खेलने चले गए और वहाँ उन्हें खूब आम खाने को भी मिले बाग़ का मालिक ज़ब बच्चों को अपने बाग़ मे दुबारा खेलते हुए देखता तो ख़ुशी से झूम उठता और बच्चों को खूब सारे आम भी तोड़ कर देता !ऐसे ही कुछ दिन बीतते गए और बगीचे के फूल भी मुरझाते गए और पूरा बगीचा सूखा पड़ गया पेड़ पौधे सारे सुख गए, तभी बगीचे के दानव ने सोचा की अगर बच्चों को दुबारा बगीचे मे खेलने को बुलाया और बगीचे के दानव ने बच्चों से बोला अब तुम रोज़ यहाँ खेलने आया करना| बगीचे का दानव बच्चों को बगीचे मे खेलता देख बहोत खुश होता और उसके बगीचे मे दुबारा फूल खिलने लगे और फूलो पर भवरे मंडराते रहे रंग भी रंगी चिड़िया वहाँ आती और बगीचा दुबारा से खिल उठा! और बगीचे का दानव यह देख कर बहोत खुश हुआ!
और दानव ने बच्चो को कभी अपने बगीचे में आने से नही रोका! और चार दीवारी भी हटा दी!
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